GA4-314340326 गिरिडीह : जमीन विवाद में फंसा अबुआ आवास, प्रशासन ने कराया काम शुरू

गिरिडीह : जमीन विवाद में फंसा अबुआ आवास, प्रशासन ने कराया काम शुरू

बिरनी में दलित महिला को आवंटित आवास निर्माण रोकने पर विवाद; मामला न्यायालय में लंबित होने के बावजूद बीडीओ ने दिया निर्माण का आदेश

पेशम गांव के दलित टोले में निरीक्षण करते पहुंचे प्रशासिक अधिकारी।
गिरिडीह (झारखंड) : बिरनी प्रखंड क्षेत्र के पेशम गांव के दलित टोला में एक 'अबुआ आवास' (राज्य सरकार की आवास योजना) निर्माण को लेकर गंभीर विवाद खड़ा हो गया। मसोमात बिलवा देवी को स्वीकृत आवास का निर्माण कार्य गांव की ही लखिया देवी और उनके बेटों द्वारा जमीन विवाद का हवाला देकर रोका जा रहा था।

भाकपा माले की पहल पर प्रशासन सक्रिय

पीड़ित परिवार ने इस मामले की शिकायत भाकपा माले कमेटी से की थी। शिकायत के आधार पर पार्टी के प्रखंड सचिव सह उप प्रमुख शेखर शरण दास ने अनुमंडल पदाधिकारी (एसडीओ), बगोदर से इस संबंध में अपील की।

शिकायत के बाद, सोमवार (01-12-2025) को प्रशासन सक्रिय हुआ। बिरनी बीडीओ फणीश्वर रजवार, अंचलाधिकारी संदीप मधेसिया, और भरकट्टा ओपी प्रभारी अमन कुमार ने संयुक्त रूप से स्थल का निरीक्षण किया। निरीक्षण के बाद, अधिकारियों ने मसोमात बिलवा देवी को आवंटित अबुआ आवास का निर्माण कार्य शुरू कराने का आदेश जारी किया।

लखिया देवी का दावा: मामला न्यायालय में लंबित

निर्माण कार्य रोके जाने वाली लखिया देवी ने अधिकारियों को मौखिक और लिखित रूप में अपनी स्थिति स्पष्ट की। उन्होंने बताया कि इसरू तुरी ने उनके दिवंगत पति बहादुर तुरी के बीच जमीन को लेकर लिखित एग्रीमेंट किया था। कागजी त्रुटियों के कारण लंबे समय तक रजिस्टर्ड केवाला (निबंधित बिक्री विलेख) नहीं हो पाया और इसी बीच उनके पति का देहांत हो गया।

लखिया देवी के अनुसार, इसरू तुरी के वारिसानों से बार-बार आग्रह करने के बावजूद केवाला नहीं किया गया। इसके बाद, उन्होंने अधिवक्ता के माध्यम से नोटिस भेजा, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। अंततः, उन्होंने माननीय न्यायालय में दीवानी वाद संख्या 314/2024 दाखिल किया है।

उन्होंने कहा, "न्यायालय ने वाद स्वीकार करते हुए विपक्षियों को नोटिस किया है, लेकिन वे न्यायालय में उपस्थित नहीं हुए। मामला न्यायालय के अधीन होने के बावजूद बीडीओ, अंचलाधिकारी और ओपी प्रभारी ने निर्माण कार्य करने का आदेश दिया है।" लखिया देवी ने कहा कि उन्हें न्याय न्यायालय से मिलेगा और दोषियों पर कार्रवाई होगी। मामला न्यायालय में विचाराधीन होने के बावजूद प्रशासन द्वारा निर्माण कार्य शुरू कराने के आदेश से कानूनी पेचीदगियां बढ़ सकती हैं।


Post a Comment

please do not enter any spam link in the comment box.

और नया पुराने